पंजाब नेशनल बैंक घोटाले में अभियुक्त मेहुल चोकसी पहली बार एक वीडियो के ज़रिए सामने आए हैं और सफ़ाई दी है.
समाचार एजेंसी एएनआई के इस एक मिनट के वीडियो में उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को ग़लत बताया है. पढ़िए उन्होंने क्या कहा -"प्रवर्तन निदेशालय ने मुझ पर जो भी आरोप लगाए हैं वे ग़लत हैं और आधारहीन हैं. मेरी संपत्ति को उन्होंने गैर-क़ानूनी तरीक़े से ज़ब्त किया है, जिसका कोई आधार नहीं था.
पासपोर्ट अथॉरिटी ने मेरा पासपोर्ट रद्द कर दिया, जिसकी वजह से मैं लाचार हो गया. 16 फरवरी को मुझे स्थानीय पासपोर्ट दफ़्तर से ईमेल आया कि मेरा पासपोर्ट इसलिए सस्पेंड कर दिया गया है कि क्योंकि मैं भारत की सुरक्षा के लिए ख़तरा हूं.
20 फरवरी को मैंने मुंबई के स्थानीय पासपोर्ट दफ़्तर को लिखा कि मेरे पासपोर्ट को सस्पेंड ना करें. हालांकि मुझे उनकी तरफ़ से कोई जवाब नहीं मिला. ना ही उन्होंने मुझे कोई वजह बताई कि मेरा पासपोर्ट क्यों सस्पेंड हुआ और मैं कैसे भारत की सुरक्षा के लिए ख़तरा हूं.
जब मेरा पासपोर्ट ही सस्पेंड है, तो उसे सरेंडर करने का सवाल ही नहीं उठता."
इस साल की शुरुआत में पंजाब नेशनल बैंक में 11,300 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया. इस घोटाले में हीरा व्यापारी नीरव मोदी के अलावा उनकी पत्नी ऐमी, उनका भाई निशाल, और चाचा मेहुल चोकसी मुख्य अभियुक्त हैं. बैंक का दावा था कि इन सभी अभियुक्तों ने बैंक के अधिकारियों के साथ साज़िश रची और बैंक को नुकसान पहुंचाया.
पंजाब नेशनल बैंक ने जनवरी में पहली बार नीरव मोदी और उनके साथियों के ख़िलाफ़ शिकायद दर्ज कराई. इस शिकायत में उन पर 280 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया गया था.
14 फ़रवरी को आंतरिक जांच पूरी होने के बाद पंजाब नेशनल बैंक ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को इस फ़र्ज़ीवाड़े की जानकारी दी.
15 फ़रवरी को प्रवर्तन निदेशालय ने दख़ल दिया और नीरव मोदी के मुंबई, सूरत और दिल्ली के कई दफ़्तरों पर छापामारी की. प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया.
लेकिन ये सभी अभियुक्त जनवरी में ही देश छोड़ने में कामयाब रहे. भारतीय एजेंसियां उनके प्रत्यर्पण की कोशिश में लगी हुई हैं.
नीरव मोदी के भाई निशाल बेल्जियम के नागरिक है और उनकी पत्नी अमरीकी नागरिक हैं.
हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होती,
लेकिन वो क्या वजह रही होगी कि प्राचीन काल में सोने और चांदी को मुद्रा के
रूप में चुना गया होगा?
ये महंगे ज़रूर हैं लेकिन बहुत सारी चीज़ें
इनसे भी महंगी हैं. फिर इन्हें ही संपन्नता और उत्कृष्टता मापने का पैमाना
क्यों माना गया?बीबीसी इन सवालों के जवाब तलाशते हुए यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के आंद्रिया सेला के पास पहुंचा. आंद्रिया इनऑर्गेनिक केमेस्ट्री के प्रोफ़ेसर हैं.
उनके हाथ में एक पीरियॉडिक टेबल था. आंद्रिया सबसे अंत से शुरू करते हैं.
दाहिने हाथ की तरफ जो रासायनिक तत्व थे वो चमकीले ब्लू घेरे में थे. ये रासायनिक रूप से स्थिर तत्व होते हैं. ये बदलते नहीं हैं और यही इसकी ख़ासियत होती है.किन एक परेशानी भी है कि ये नोबल गैस समूह के होते हैं. ये गैस गंधहीन और रंगहीन होती हैं, जिनकी रासायनिक प्रतिक्रिया की क्षमता कम होती है.
यही कारण है कि इन्हें मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जाना आसान नहीं होता. क्योंकि इन्हें लेकर घूमना एक चुनौती होगा.
चूंकि ये रंगहीन होते हैं, इसलिए इसे पहचानना भी मुश्किल होता और ग़लती से इनका कंटेनर खुल जाए तो आपकी कमाई हवा हो जाती.
इस श्रेणी में मरकरी और ब्रोमीन तो हैं पर वे लिक्विड स्टेट में हैं और ज़हरीले होते हैं. दरअसल सभी मेटलॉइड्स या तो बहुत मुलायम होते हैं या फिर ज़हरीले.
पीरियॉडिक टेबल गैस, लिक्विड और ज़हरीले रासायनिक तत्वों के बिना कुछ ऐसा दिखेगा.
ऊपर के टेबल में सभी नॉन-मेटल तत्व भी ग़ायब हैं, जो गैस और लिक्विड तत्व के आसपास थे. ऐसा इसलिए है क्योंकि इन नॉन-मेटल को न तो फैलाया जा सकता है और न ही सिक्के का रूप दिया जा सकता है.
ये दूसरे मेटल के मुक़ाबले मुलायम भी नहीं होते हैं, इसलिए ये मुद्रा बनने की दौड़ में पीछे रह गए.
सेला ने अब हमारा ध्यान पीरियोडिक टेबल की बाईं ओर खींचा. ये सभी रासायनिक तत्व ऑरेंज कलर के घेरे में थे.
ये सभी मेटल हैं. इन्हें मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है पर परेशानी यह है कि इनकी रासायनिक प्रतिक्रिया क्षमता बहुत ज़्यादा होती है.
लिथियम जैसे मेटल इतने प्रतिक्रियाशील होते हैं कि जैसे ही ये हवा के संपर्क मे आते हैं, आग लग जाती है. अन्य दूसरे खुरदरे और आसानी से नष्ट होने वाले हैं.
इसलिए ये ऐसे नहीं हैं, जिसे आप अपनी जेबों में लेकर घूम सकें.सके आसपास के रासायनिक तत्व प्रतिक्रियाशील होने की वजह से इसे मुद्रा बनाया जाना मुश्किल है. वहीं, एल्कलाइन यानी क्षारीय तत्व आसानी से कहीं भी पाए जा सकते हैं.
अगर इसे मुद्रा बनाया जाए तो कोई भी इसे तैयार कर सकता है. अब बात करें पीरियॉडिक टेबल के रेडियोएक्टिव तत्वों की तो इन्हें रखने पर नुक़सान हो सकता है.
ऊपर की तस्वीर में बचे रासायनिक तत्वों की बात करें तो ये रखने के हिसाब से सुरक्षित तो हैं लेकिन ये इतनी मात्रा में पाए जाते हैं कि इसका सिक्का बनाना आसान हो जाएगा, जैसे कि लोहे के सिक्के.
मुद्रा के रूप में उस रासायनिक तत्व का इस्तेमाल किया जाना चाहिए जो आसानी से नहीं मिलते हों.
अब अंत में पांच तत्व बचते हैं जो बहुत मुश्किल से मिलते हैं. सोना(Au), चांदी(Ag), प्लैटिनम(Pt), रोडियम(Rh) और पलेडियम(Pd).
ये सभी तत्व क़ीमती होते हैं. इन सभी में रोडियम और प्लेडियम को मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता था लेकिन इनकी खोज उन्नीसवीं शताब्दी में की गई थी, जिसकी वजह से प्राचीन काल में इनका इस्तेमाल नहीं किया गया था.
तब प्लैटिनम का इस्तेमाल किया जाता था पर लेकिन इसे गलाने में तापमान को 1768 डिग्री तक ले जाना होता है. इस वजह से मुद्रा की लड़ाई में सोने और चांदी की जीत हुई.
चांदी का इस्तेमाल सिक्के के रूप में तो हुआ पर परेशानी यह थी कि ये हवा में मौजूद सल्फर से प्रतिक्रिया कर कुछ काली पड़ जाती है.
चांदी की तुलना में सोना आसानी से नहीं मिलता है और यह काला भी नहीं पड़ता.
सोना ऐसा तत्व है जो आर्द्र हवा में हरा नहीं होती है. सेला कहते हैं कि यही वजह है मुद्रा की दौड़ में सोना सबसे आगे और अव्वल रहा.
वो कहते हैं कि यही वजह है कि हज़ारों सालों के प्रयोग और कई सभ्यताओं ने सोने को मुद्रा के रूप में चुना.
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