目前中国的煤炭消费量已占到世界总量的一半。但令人惊讶的是,中国成为煤炭净进口国还不到5年时间,这再次显示了中国自身煤炭储量及产业规模之大。中国国内煤炭市场规模已达到全球煤炭交易市场规模的3倍。作为净进口国,中国已迅速成为决定地区乃至全球煤炭价格的重要力量。
随着煤炭价格下跌推动需求量激增,催生了世界各国大量煤矿的新扩建计划。未来几年,市场预计中国煤炭需求还会持续增长,从而推动价格上涨,很多过去认为无法盈利的煤矿又重新赢得投资者的兴趣。这一趋势在澳大利亚尤为明显。
中国在不到5年的时间内转变成煤炭净进口国,也成为了澳大利亚的主要出口市场。2007年,中国市场仅占澳大利亚热能煤出口的3%,2012年其份额已增长到18%。澳大利亚出口至中国的煤炭量及其占出口总量的比例都在增长,不出意外的话,仍会持续增长势头。澳大利亚政府以及煤矿主、运营商也都希望未来能够维持这种增长态势。
然而,中国的煤炭需求正在发生变化,这种似乎永不满足的需求不会一直持续下去。中国经济增长放缓,经济结构也正由投资型向消费型过渡,这都可能抑制煤炭需求的增长,此外,其他因素也会改变中国的煤炭需求,使增长低于预期。这些因素多与环境有关,各国煤矿主和运营商将不得不重新评估已经制定的或正在筹划的煤炭开采计划的可行性,尤其是澳大利亚,因为它的煤炭出口越来越依赖中国市场。
中国越来越担心空气污染问题,希望减少温室气体排放,增强对石油、天然气等国际市场价格变动的应对能力,再加上新政策框架的制定、技术成本不断降低以及碳交易定价机制的引入,中国开始大规模使用非化石能源。同时,水资源短缺也会影响煤炭需求。此外,中国国内页岩气开采和国际天然气市场的变动也会推动能源结构由煤炭向天然气转型。
煤炭需求低于预期会拉低价格,从而增加煤矿及相关基础设施被关停或弃置的风险。目前澳大利亚正在规划的许多开发扩建项目都是建立在煤炭价格上涨这个基础上的,如果价格下跌或保持不变,这些项目将不具备可行性。这将导致澳大利亚出现大量“搁浅资产”,即资产出现意料之外或早于预期的账面价值降低、贬值或负债。
近日牛津大学搁浅资产项目组发布了一份报告,题为《澳大利亚资产搁浅?环境因素改变中国煤炭需求,这对澳大利亚煤炭相关资产会产生什么影响》,报告对这些风险进行了详尽的研究。
报告中建议,为了降低资产搁浅的风险,相关企业应该进一步研究项目投资依赖的价格假设。投资者应该确定将有限的资金投入这些项目的机会成本。如果项目弃置或关停,澳大利亚各州政府也会受到不利影响,因为产量降低会使特许许可费减少。例如,如果加利利大型煤矿不能正常运营,昆士兰政府将面临严重损失。明智的做法是,政府决策者使征税基础多样化,从而规避风险。另外,州政府和联邦政府也可以控制用于港口、铁路等煤炭产业支持性基础设施的公共资金和资源,从而降低资产搁浅的风险。
尽管双边贸易分析总会有局限性,但中国煤炭需求模式确实会受环境因素影响而发生转变,从而导致其需求量低于目前很多煤矿主和运营商的预期。考虑到中国对地区及全球煤炭价格的影响越来越大,不出意外的话,其需求量降低会导致煤炭价格下跌,澳大利亚煤炭相关资产将难以避免这种影响。
澳大利亚煤矿主和运营商应该意识到这些风险并采取相应的行动。政府也应从中得到启示,决策者应该明白资产是如何搁浅的,从而避免资金搁死,保证政府特别是州政府能够应对收入中断的情况。
Friday, August 31, 2018
Wednesday, August 29, 2018
博弈高房租 中国多个城市租金突涨背后
多家中国媒体报道,北京房租连续三个月暴涨,涨幅远超以往,引发舆论热议。
中国房价行情网的数据显示,北京7月房租为92.33元/月/㎡,比去年同期增长21.89%,而2017年北京的人均工资为每月8467元。作为中国的首都,北京的一举一动都能引发热议。此外,加上众多意见领袖以及中国目前最大的舆论阵地微信公众号的操盘手们很多都生活在北京,很容易就一个话题引发全网关注。
然而,BBC中文记者查询数据库后发现,北京并非过去一个月中国房租上涨最猛的城市。中国房价行情网的数据显示,在中国的一级城市中,7月房租涨幅最高的城市为深圳,同比增加29.68%,其次为重庆,同比上涨26.44%,第三为上涨24.39%的天津,北京仅排第四。中国的二级城市中涨幅最大的是成都,同比增长30.98%。四级城市中,大理的同比涨幅竟然高达44.89%众多中国媒体将房租暴涨的原因归咎于房屋中介以及这些中介旗下的长租公寓公司。
近年来,中国出现了一类长租公寓公司,例如中国知名房地产中介链家旗下的自如友家,公寓运营商蛋壳等。这些公司从业主处承接房屋,签3至5年的委托合同,经过简单装修并配上家电家私,以单个卧室为单位出租给不同的人,从而以二房东的身份获得差价。
有舆论认为,这些长租公寓公司之间争夺房源导致了租金上涨。此种背景下,北京市住建委等多个部门在8月17日集中约谈自如、相寓、蛋壳公寓等主要住房租赁企业负责人,要求他们不得利用银行贷款等融资渠道获取的资金恶性竞争抢占房源;不得以高于市场水平的租金或哄抬租金抢占房源等。
此后,这些中介承诺北京新增投放市场房源租金不涨,全国九城续约房源涨幅不超5%。
链家研究院院长杨现领称,北京租金上涨的原因为市场上某些地段租赁房源明显减少、租赁人口向内城转移,此外,毕业季也导致内城租赁需求增多。
“房租上涨既有供需作用的原因,更有广义物价上升的信号,房租上涨一旦持续,将对居民物价造成重要影响,而且可能抑制内需,从而出现物价上涨、经济放缓的类滞涨环境,那么货币政策就可能进入左右为难的境地。”中信证券研究部固定收益首席分析师明明撰文称。
前社科院金融研究所研究员易宪容则在博客发文称,关于中国各地房租上涨,季节性因素、供需结构失衡等因素“都不是太重要的”,重要的是为何政府提出发展中国的住房租赁市场,中国的住房租赁市场没有发展起来就会乱象丛生?原因何在?
“中国住房租赁制度安排严重不足,加上政府不能够以巨大的财政投入增加更多的可对中低收入者的租赁住房供应,这自然会给赢利性的住房租赁企业获得暴利创造最好的机会。”易宪容称。
有报道称,目前中国一线城市的房价,如果只靠房租回本,需要70-80年,而公认的健康水平是18-25年。过去十年,中国的房价持续飙升,而房租涨幅一直相对稳定。
在国际上,一般租金收入比的警界线是30%,也就是说,当租金占收入的比重超过30%,租客用在房租的消费就是不合理的。但在豆瓣、知乎等中国年轻人相对集中的论坛上,很多人在中国一线城市的租户表示,他们需要支付的房租已经到达了月收入的50%以上。
中信证券明明研究团队在一份报告中称,房租上涨不仅从CPI构成上推高通胀,还可通过成本传递和财富效应等方式影响整体物价水平。
“根据成本传递效应,房租价格增加了居民生活成本,不考虑工资黏性的时滞影响,房租价格上升将推高工人的工资要求,企业在维持一定利润率的基础上会将用工成本向下游以及终端消费转嫁,从而推动物价上涨。”该报告称。
“为了保证居民的基本居住条件,今后的中国房地产市场,有支付能力的居民进入商品住房市场购买住房,而中低收入居民则通过住房租赁的方式来保证(居住)。如果中国的住房租赁市场发展了,那么中国房地产市场问题也就解决了。”易宪容称。
Monday, August 27, 2018
क्या कम्युनिज़्म से मुंह मोड़ रहा है कास्त्रो का क्यूबा?
दुनिया की सबसे बड़ी पूंजीवादी अर्थव्यवस्था संयुक्त राज्य अमरीका की
दक्षिण पूर्व सीमा से महज़ 366 किलोमीटर दूर स्थित है, साम्यवाद का छोटा
लेकिन मज़बूत किला, क्यूबा.
एक करोड़ चौदह लाख की आबादी वाला ये द्वीपीय देश मशहूर है अपने मुक्केबाज़ों, महकती सिगारों, सफेद रम, सुंदर समुद्री किनारों और अपने संगीत के लिए.
क्यूबा की साम्यवादी क्रांति भी ख़ासी चर्चित है, जब उनसठ साल पहले दो भाइयों- फिदेल कास्त्रो और राउल कास्त्रो ने अर्जेंटीना के गुरिल्ला क्रांतिकारी चे ग्वेरा के साथ मिलकर फुलगेंसियो बतिस्ता की अमरीका समर्थित सत्ता को उखाड़ फेंका और कम्युनिस्ट व्यवस्था स्थापित की.
आधी सदी तक अमरीकी प्रतिबंधों के बावजूद क्यूबा अपनी कम्युनिस्ट व्यवस्था पर क़ायम रहा. ये आकलन भी एक अरसे तक ग़लत साबित हुआ कि अपने घनिष्ठ सहयोगी सोवियत संघ के विघटन के बाद क्यूबा धराशायी हो जाएगा. लेकिन क्या अब हालात बदलने लगे हैं?
अपने देहांत से कुछ महीनों पहले अप्रैल 2016 में फिदेल कास्त्रो यही कह गए थे कि क्यूबा कम्युनिज़्म के लिए जाना जाएगा. उन्होंने कहा था, "बहुत जल्द मैं नब्बे साल का हो जाऊंगा. बहुत जल्द मैं बाक़ी सबकी तरह हो जाऊंगा. सबको अवसर मिलेगा लेकिन क्यूबा के कम्युनिज़्म का विचार हमेशा रहेगा."
लेकिन महज़ दो साल बाद फिदेल के इस दावे पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं. क्योंकि अब देश की संसद ने संविधान में बदलाव के ऐसे मसौदे को मंज़ूरी दी है, जिसके अमल में आने के बाद वहां संपत्ति पर निजी मालिकाना हक़ को राज्य की मान्यता मिल जाएगी. यानी सरकार मानेगी कि ये घर या व्यापार आपका है, आप इससे मुनाफ़ा कमा सकते हैं या जिसे चाहे बेच सकते हैं.
इसके मायने समझाते हुए जेएनयू में यूएस एंड लैटिन स्टडीज़ के प्रोफेसर अब्दुल नाफ़े बताते हैं, "इसमें एक प्रावधान ये है कि किसी दूसरे व्यक्ति के श्रम से होने वाली आय मेरा अधिकार बन गई है, मैं उस पर टैक्स दे सकता हूं. अगर मैं अपना रेस्तरां शुरू करूं और दस लोगों को उसमें काम पर रखूं और मुझे उससे मुनाफ़ा होगा. इससे छोटे उद्योगों को ज़रूर बढ़ावा मिलेगा."
नए प्रस्ताव में क्यूबा को कम्युनिस्ट समाज बनाने के लक्ष्य को समाजवादी संरचना से बदल दिया गया है. साथ ही इसमें बाज़ार की भूमिका का भी ज़िक्र किया गया है. बाज़ार और निजी मालिकाना हक़ जैसी शब्दावली को कास्त्रो बंधु असमानता की मुख्य वजह बताते रहे हैं.
लेकिन ये बदलाव अचानक नहीं हुआ है. 2011 में जब राउल कास्त्रो क्यूबा के राष्ट्रपति थे, तभी लोगों को व्यापार के कुछ सीमित अधिकार दिए गए थे.
क्यूबा की राजधानी हवाना में मौजूद बीबीसी संवाददाता विल ग्रांट बताते हैं कि एक तरह से उन्हीं बदलावों को काग़ज़ पर उतारा जा रहा है, जिनकी शुरुआत राउल कास्त्रो ने अपने भाई फ़िदेल कास्त्रो से सत्ता संभालने के बाद की थी. लेकिन उन बदलावों को क़ानूनी संरक्षण हासिल नहीं था. तो लोगों को व्यापार करने का अधिकार था, लेकिन निजी संपत्ति के तौर पर उन्हें पहचान नहीं मिली थी.
विल ग्रांट के मुताबिक, "क्यूबा में ख़ुद का रोज़गार चलाने वालों की संख्या क़रीब आठ लाख है. ये बहुत ज़्यादा नहीं है, लेकिन अहम है. क्यूबा की सरकार भी जानती है कि आने वाले वर्षों में निजी क्षेत्र की अहमियत बनी रहेगी और लोग उसकी ओर आकर्षित होते रहेंगे. बल्कि वो कुछ सरकारी नौकरियों को भी निजी क्षेत्र के पाले में धकेल सकती है क्योंकि वो अब उसे वहन नहीं कर सकती."
1959 से 2011 तक क्यूबा की सत्ता पर फ़िदेल कास्त्रो क़ाबिज़ रहे और 2008 में कुर्सी अपने भाई राऊल को दे दी. 87 वर्षीय राउल ने चार महीने पहले ही राष्ट्रपति की कुर्सी छोड़ी है. उनकी जगह ली है 57 वर्षीय मिगेल डियाज़-कनेल ने. मिगेल क्यूबा के पहले ऐसे राष्ट्राध्यक्ष हैं जिनका जन्म क्यूबा की क्रांति के बाद हुआ है.
क्यूबा पर लगभग आठ दशकों से अमरीकी प्रतिबंध हैं. लेकिन सोवियत संघ से मिलने वाली आर्थिक मदद की बदौलत उसका काम चलता रहा. संकट तब बढ़ा, जब 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया.
सोवियत संघ के विघटन के बाद क्यूबा ने स्व-रोजगार को कुछ सीमाओं के साथ बढ़ावा देना शुरू किया. लेकिन इसके बावजूद आर्थिक स्थितियां क्यूबा में काले बाज़ार को पनपने से नहीं रोक सकीं.
लातिन अमरीका पर नज़र रखने वाले ब्राज़ील में रह रहे पत्रकार शोभन सक्सेना बताते हैं कि क्यूबा की आर्थिक स्थिति लगातार कमज़ोर होते चले जाने और ज़रूरी आर्थिक सुधार न होने की वजह से वहां काला बाज़ार पैदा हो गया.
शोभन सक्सेना के मुताबिक, "क्यूबा में बड़ा काला बाज़ार है, जिसमें लोग शराबों से लेकर संपत्ति तक बेचते हैं. क्यूबा एक समाजवादी व्यवस्था है, लेकिन काले बाज़ार के ज़रिये वहां एक तरह का पूंजीवाद भी साथ-साथ चलता रहा है. अब नए प्रस्ताव के अमल में आने के बाद उस काले बाज़ार वाली ख़रीद बिक्री को मान्यता मिल जाएगी. इससे मध्यवर्ग को बड़ी सहूलियत मिल जाएगी. लोग अपनी संपत्ति बेच पाएंगे, उसे किराए पर दे पाएंगे. उससे उन्हें जो पूंजी मिलेगी, उसे वे कहीं और निवेश कर पाएंगे."
क्यूबा अपनी आर्थिक नीति को बदलने की दिशा में बढ़ रहा है तो क्या उसने कभी क्यूबा क्रांति के प्रेरक विचार रहे कम्युनिज़्म से विमुख होने की शुरुआत कर दी है? अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रोफेसर पुष्पेश पंत मानते हैं कि इसकी अनौपचारिक शुरुआत तो बहुत पहले हो गई थी.
पुष्पेश पंत कहते हैं, "कम्युनिज़म से विमुख तो क्यूबा तभी हो गया था, जब राउल कास्त्रो राष्ट्रपति बने थे. विमुख वह तभी हो गया था जब सोवियत संघ ध्वस्त हुआ था. क्यूबा एक छोटा नन्हा सा देश है. वहां जो साम्यवादी क्रांति हुई थी वो विश्वव्यापी प्रभाव की नहीं थी. वह चे ग्वेरा और कास्त्रो के प्रभाव से रूमानी भले ही रही, लेकिन उसका अपना कोई अलग अस्तित्व नहीं थी. वह चीनी क्रांति की तरह माओवादी नहीं थी, वह रूसी क्रांति की तरह बोल्शेविक नहीं थी. उसका साम्यवाद का रूप फोकोवादी था, गुरिल्ला छापामारी था और क्यूबा के अतिरिक्त वह बोलिविया तक में सफल नहीं हो पाया, जहां चे ग्वेरा की मौत हो गई."
उनके मुताबिक, "जब तक उन्हें सोवियत साम्यवादियों से बड़े पैमाने पर आर्थिक मदद मिलती थी उनका साम्यवाद पनप रहा था. जब वह नहीं रहा तो वह खोखला होने लगा. क्यूबा का साम्यवाद स्वावलम्बी साम्यवाद नहीं था."
अमरीका की यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर में प्रोफेसर मुक़्तदर ख़ान इस मसले को अमरीका के नज़रिए से इसे समझाते हैं. वो बताते हैं कि अमरीका में शुगर लॉबी और क्यूबा मूल के अमरीकियों की लॉबी ख़ास तौर से चाहती है कि क्यूबा के बाज़ार खुलें. छोटे से देश में पर्यटन उद्योग की अपार संभावनाएं देखी जाती हैं. लेकिन यह तभी होगा, जब अमरीका क्यूबा से आर्थिक पाबंदियां हटाएगा.
मुक़्तदर ख़ान बताते हैं, "छोटे व्यापार तो क्यूबा में पहले से ही चल रहे थे, मिसाल के तौर पर कार उद्योग. क्यूबा ने चमत्कारी तरीक़े से विंटेज कारों को मेंटेन किया है. छोटी-मोटी संपत्ति का मालिकाना हक़ पहले भी था. लेकिन अब ये प्रस्ताव उत्पादन के साधनों से जुड़ा है. यानी फैक्ट्री, मिल का मालिकाना हक. तो इसमें जो उत्पादन के साधनों पर मालिकाना हक़ अगर निजी हाथों के पास भी चला जाता है तो देश कम्युनिस्ट नहीं रहता और समाजवाद (सोशलिज़्म) की ओर चला जाता है."
मुक़्तदर के मुतबिक, "क्यूबा चीन का मॉडल अपनाना चाह रहा है, जहां अरबपति भी होते हैं. मेरे ख़्याल से क्यूबा एक हाइब्रिड मुल्क़ बनने जा रहा है, जहां राजनीति साम्यवादी रहेगी, यानी जहां एक ही पार्टी का शासन रहेगा लेकिन अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मुक्त बाज़ार व्यवस्था होगी."
हालांकि जेएनयू में यूएस एंड लैटिन स्टडीज़ के प्रोफेसर अब्दुल नाफ़े मानते हैं कि क्यूबा में 2011 के बाद से लोगों को कुछ अधिकार तो मिले हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि क्यूबा ने एक लोकतांत्रिक मुक्त बाज़ार अर्थव्यवस्था की ओर क़दम बढ़ा दिए हैं.
अब्दुल नाफे बताते हैं कि संविधान में पहले भी तीन बार संशोधन हो चुके हैं. उनके मुताबिक, "इसका कारण यह है कि क्यूबा का 1976 के संविधान से क्यूबा के समाज और अर्थव्यवस्था का सोवियतीकरण हुआ था. तो 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद से बार-बार यह कहा जा रहा था कि इस संविधान में तब्दीली की ज़रूरत है."
"2011 के बाद से ही अभिव्यक्ति, निजी संपत्ति आदि के संबंध में कुछ अधिकार दिए गए, लेकिन इस सीमा के भीतर कि आप समाजवाद को चुनौती नहीं देंगे और क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी के गाइडिंग रोल में कोई बदलाव नहीं आएगा. देश अभी समाजवाद के रास्ते पर कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में ही आगे बढ़ेगा. न बहुदलीय लोकतंत्र आएगा, न निजी निवेश को ज़्यादा बढ़ावा मिलेगा."
क्यूबा इक्कीसवीं सदी की लोकप्रिय आर्थिक नीतियों के साथ क़दमताल नहीं कर रहा, लेकिन उसके रुख़ में नरमी ज़रूर आई है. सामाजिक व्यवस्था के लिहाज़ से क्यूबा की कई उपलब्धियां भी हैं. वहां साक्षरता दर लगभग सौ फ़ीसदी है. शोभन सक्सेना बताते हैं कि स्वास्थ्य का जैसा मॉडल क्यूबा है, वैसा लातिन अमरीका में किसी देश का नहीं है.
एक करोड़ चौदह लाख की आबादी वाला ये द्वीपीय देश मशहूर है अपने मुक्केबाज़ों, महकती सिगारों, सफेद रम, सुंदर समुद्री किनारों और अपने संगीत के लिए.
क्यूबा की साम्यवादी क्रांति भी ख़ासी चर्चित है, जब उनसठ साल पहले दो भाइयों- फिदेल कास्त्रो और राउल कास्त्रो ने अर्जेंटीना के गुरिल्ला क्रांतिकारी चे ग्वेरा के साथ मिलकर फुलगेंसियो बतिस्ता की अमरीका समर्थित सत्ता को उखाड़ फेंका और कम्युनिस्ट व्यवस्था स्थापित की.
आधी सदी तक अमरीकी प्रतिबंधों के बावजूद क्यूबा अपनी कम्युनिस्ट व्यवस्था पर क़ायम रहा. ये आकलन भी एक अरसे तक ग़लत साबित हुआ कि अपने घनिष्ठ सहयोगी सोवियत संघ के विघटन के बाद क्यूबा धराशायी हो जाएगा. लेकिन क्या अब हालात बदलने लगे हैं?
अपने देहांत से कुछ महीनों पहले अप्रैल 2016 में फिदेल कास्त्रो यही कह गए थे कि क्यूबा कम्युनिज़्म के लिए जाना जाएगा. उन्होंने कहा था, "बहुत जल्द मैं नब्बे साल का हो जाऊंगा. बहुत जल्द मैं बाक़ी सबकी तरह हो जाऊंगा. सबको अवसर मिलेगा लेकिन क्यूबा के कम्युनिज़्म का विचार हमेशा रहेगा."
लेकिन महज़ दो साल बाद फिदेल के इस दावे पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं. क्योंकि अब देश की संसद ने संविधान में बदलाव के ऐसे मसौदे को मंज़ूरी दी है, जिसके अमल में आने के बाद वहां संपत्ति पर निजी मालिकाना हक़ को राज्य की मान्यता मिल जाएगी. यानी सरकार मानेगी कि ये घर या व्यापार आपका है, आप इससे मुनाफ़ा कमा सकते हैं या जिसे चाहे बेच सकते हैं.
इसके मायने समझाते हुए जेएनयू में यूएस एंड लैटिन स्टडीज़ के प्रोफेसर अब्दुल नाफ़े बताते हैं, "इसमें एक प्रावधान ये है कि किसी दूसरे व्यक्ति के श्रम से होने वाली आय मेरा अधिकार बन गई है, मैं उस पर टैक्स दे सकता हूं. अगर मैं अपना रेस्तरां शुरू करूं और दस लोगों को उसमें काम पर रखूं और मुझे उससे मुनाफ़ा होगा. इससे छोटे उद्योगों को ज़रूर बढ़ावा मिलेगा."
नए प्रस्ताव में क्यूबा को कम्युनिस्ट समाज बनाने के लक्ष्य को समाजवादी संरचना से बदल दिया गया है. साथ ही इसमें बाज़ार की भूमिका का भी ज़िक्र किया गया है. बाज़ार और निजी मालिकाना हक़ जैसी शब्दावली को कास्त्रो बंधु असमानता की मुख्य वजह बताते रहे हैं.
लेकिन ये बदलाव अचानक नहीं हुआ है. 2011 में जब राउल कास्त्रो क्यूबा के राष्ट्रपति थे, तभी लोगों को व्यापार के कुछ सीमित अधिकार दिए गए थे.
क्यूबा की राजधानी हवाना में मौजूद बीबीसी संवाददाता विल ग्रांट बताते हैं कि एक तरह से उन्हीं बदलावों को काग़ज़ पर उतारा जा रहा है, जिनकी शुरुआत राउल कास्त्रो ने अपने भाई फ़िदेल कास्त्रो से सत्ता संभालने के बाद की थी. लेकिन उन बदलावों को क़ानूनी संरक्षण हासिल नहीं था. तो लोगों को व्यापार करने का अधिकार था, लेकिन निजी संपत्ति के तौर पर उन्हें पहचान नहीं मिली थी.
विल ग्रांट के मुताबिक, "क्यूबा में ख़ुद का रोज़गार चलाने वालों की संख्या क़रीब आठ लाख है. ये बहुत ज़्यादा नहीं है, लेकिन अहम है. क्यूबा की सरकार भी जानती है कि आने वाले वर्षों में निजी क्षेत्र की अहमियत बनी रहेगी और लोग उसकी ओर आकर्षित होते रहेंगे. बल्कि वो कुछ सरकारी नौकरियों को भी निजी क्षेत्र के पाले में धकेल सकती है क्योंकि वो अब उसे वहन नहीं कर सकती."
1959 से 2011 तक क्यूबा की सत्ता पर फ़िदेल कास्त्रो क़ाबिज़ रहे और 2008 में कुर्सी अपने भाई राऊल को दे दी. 87 वर्षीय राउल ने चार महीने पहले ही राष्ट्रपति की कुर्सी छोड़ी है. उनकी जगह ली है 57 वर्षीय मिगेल डियाज़-कनेल ने. मिगेल क्यूबा के पहले ऐसे राष्ट्राध्यक्ष हैं जिनका जन्म क्यूबा की क्रांति के बाद हुआ है.
क्यूबा पर लगभग आठ दशकों से अमरीकी प्रतिबंध हैं. लेकिन सोवियत संघ से मिलने वाली आर्थिक मदद की बदौलत उसका काम चलता रहा. संकट तब बढ़ा, जब 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो गया.
सोवियत संघ के विघटन के बाद क्यूबा ने स्व-रोजगार को कुछ सीमाओं के साथ बढ़ावा देना शुरू किया. लेकिन इसके बावजूद आर्थिक स्थितियां क्यूबा में काले बाज़ार को पनपने से नहीं रोक सकीं.
लातिन अमरीका पर नज़र रखने वाले ब्राज़ील में रह रहे पत्रकार शोभन सक्सेना बताते हैं कि क्यूबा की आर्थिक स्थिति लगातार कमज़ोर होते चले जाने और ज़रूरी आर्थिक सुधार न होने की वजह से वहां काला बाज़ार पैदा हो गया.
शोभन सक्सेना के मुताबिक, "क्यूबा में बड़ा काला बाज़ार है, जिसमें लोग शराबों से लेकर संपत्ति तक बेचते हैं. क्यूबा एक समाजवादी व्यवस्था है, लेकिन काले बाज़ार के ज़रिये वहां एक तरह का पूंजीवाद भी साथ-साथ चलता रहा है. अब नए प्रस्ताव के अमल में आने के बाद उस काले बाज़ार वाली ख़रीद बिक्री को मान्यता मिल जाएगी. इससे मध्यवर्ग को बड़ी सहूलियत मिल जाएगी. लोग अपनी संपत्ति बेच पाएंगे, उसे किराए पर दे पाएंगे. उससे उन्हें जो पूंजी मिलेगी, उसे वे कहीं और निवेश कर पाएंगे."
क्यूबा अपनी आर्थिक नीति को बदलने की दिशा में बढ़ रहा है तो क्या उसने कभी क्यूबा क्रांति के प्रेरक विचार रहे कम्युनिज़्म से विमुख होने की शुरुआत कर दी है? अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रोफेसर पुष्पेश पंत मानते हैं कि इसकी अनौपचारिक शुरुआत तो बहुत पहले हो गई थी.
पुष्पेश पंत कहते हैं, "कम्युनिज़म से विमुख तो क्यूबा तभी हो गया था, जब राउल कास्त्रो राष्ट्रपति बने थे. विमुख वह तभी हो गया था जब सोवियत संघ ध्वस्त हुआ था. क्यूबा एक छोटा नन्हा सा देश है. वहां जो साम्यवादी क्रांति हुई थी वो विश्वव्यापी प्रभाव की नहीं थी. वह चे ग्वेरा और कास्त्रो के प्रभाव से रूमानी भले ही रही, लेकिन उसका अपना कोई अलग अस्तित्व नहीं थी. वह चीनी क्रांति की तरह माओवादी नहीं थी, वह रूसी क्रांति की तरह बोल्शेविक नहीं थी. उसका साम्यवाद का रूप फोकोवादी था, गुरिल्ला छापामारी था और क्यूबा के अतिरिक्त वह बोलिविया तक में सफल नहीं हो पाया, जहां चे ग्वेरा की मौत हो गई."
उनके मुताबिक, "जब तक उन्हें सोवियत साम्यवादियों से बड़े पैमाने पर आर्थिक मदद मिलती थी उनका साम्यवाद पनप रहा था. जब वह नहीं रहा तो वह खोखला होने लगा. क्यूबा का साम्यवाद स्वावलम्बी साम्यवाद नहीं था."
अमरीका की यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर में प्रोफेसर मुक़्तदर ख़ान इस मसले को अमरीका के नज़रिए से इसे समझाते हैं. वो बताते हैं कि अमरीका में शुगर लॉबी और क्यूबा मूल के अमरीकियों की लॉबी ख़ास तौर से चाहती है कि क्यूबा के बाज़ार खुलें. छोटे से देश में पर्यटन उद्योग की अपार संभावनाएं देखी जाती हैं. लेकिन यह तभी होगा, जब अमरीका क्यूबा से आर्थिक पाबंदियां हटाएगा.
मुक़्तदर ख़ान बताते हैं, "छोटे व्यापार तो क्यूबा में पहले से ही चल रहे थे, मिसाल के तौर पर कार उद्योग. क्यूबा ने चमत्कारी तरीक़े से विंटेज कारों को मेंटेन किया है. छोटी-मोटी संपत्ति का मालिकाना हक़ पहले भी था. लेकिन अब ये प्रस्ताव उत्पादन के साधनों से जुड़ा है. यानी फैक्ट्री, मिल का मालिकाना हक. तो इसमें जो उत्पादन के साधनों पर मालिकाना हक़ अगर निजी हाथों के पास भी चला जाता है तो देश कम्युनिस्ट नहीं रहता और समाजवाद (सोशलिज़्म) की ओर चला जाता है."
मुक़्तदर के मुतबिक, "क्यूबा चीन का मॉडल अपनाना चाह रहा है, जहां अरबपति भी होते हैं. मेरे ख़्याल से क्यूबा एक हाइब्रिड मुल्क़ बनने जा रहा है, जहां राजनीति साम्यवादी रहेगी, यानी जहां एक ही पार्टी का शासन रहेगा लेकिन अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर मुक्त बाज़ार व्यवस्था होगी."
हालांकि जेएनयू में यूएस एंड लैटिन स्टडीज़ के प्रोफेसर अब्दुल नाफ़े मानते हैं कि क्यूबा में 2011 के बाद से लोगों को कुछ अधिकार तो मिले हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि क्यूबा ने एक लोकतांत्रिक मुक्त बाज़ार अर्थव्यवस्था की ओर क़दम बढ़ा दिए हैं.
अब्दुल नाफे बताते हैं कि संविधान में पहले भी तीन बार संशोधन हो चुके हैं. उनके मुताबिक, "इसका कारण यह है कि क्यूबा का 1976 के संविधान से क्यूबा के समाज और अर्थव्यवस्था का सोवियतीकरण हुआ था. तो 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद से बार-बार यह कहा जा रहा था कि इस संविधान में तब्दीली की ज़रूरत है."
"2011 के बाद से ही अभिव्यक्ति, निजी संपत्ति आदि के संबंध में कुछ अधिकार दिए गए, लेकिन इस सीमा के भीतर कि आप समाजवाद को चुनौती नहीं देंगे और क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी के गाइडिंग रोल में कोई बदलाव नहीं आएगा. देश अभी समाजवाद के रास्ते पर कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में ही आगे बढ़ेगा. न बहुदलीय लोकतंत्र आएगा, न निजी निवेश को ज़्यादा बढ़ावा मिलेगा."
क्यूबा इक्कीसवीं सदी की लोकप्रिय आर्थिक नीतियों के साथ क़दमताल नहीं कर रहा, लेकिन उसके रुख़ में नरमी ज़रूर आई है. सामाजिक व्यवस्था के लिहाज़ से क्यूबा की कई उपलब्धियां भी हैं. वहां साक्षरता दर लगभग सौ फ़ीसदी है. शोभन सक्सेना बताते हैं कि स्वास्थ्य का जैसा मॉडल क्यूबा है, वैसा लातिन अमरीका में किसी देश का नहीं है.
Thursday, August 16, 2018
北欧国家如何领导气候行动
015年12月,近200个国家在巴黎达成一致,将通力合作,确保到本世纪末实现净温室气体排放量为零的目标。为此,地球上每个国家都必须放弃高碳经济,选择清洁能源。
值得一提的是,北欧国家是最早采取行动的先行者,他们将自己定位为这场变革中的气候行动领袖。
北欧国家是最早一批对碳定价的国家。芬兰、挪威、瑞典和丹麦等国早在上世纪90年代就开始征收碳税。地理位置和政策因素造就了北欧国家清洁能源先行者的地位:水电占挪威发电总量的95%,风电占丹麦2015年发电总量的42%。
尽管已经取得了上述成就,但北欧国家还不能止步不前。这个月,挪威议会投票决定到2030年实现碳中和。
“这是对挪威在批准《巴黎协定》时所做承诺的直接回应,也意味着我们必须大幅加强气候行动,”挪威绿党议会领袖拉斯姆斯·汉森告诉《卫报》。
交通革命
挪威的电力供应已经基本实现去碳化,但其他领域减排的难度更大。受到高税费和停车激励制度的影响,挪威在电动车使用方面走在了世界前列。2016年5月,电动车(包括充电式混合动力车及纯电动车)占到新车销售量的29%。此外,作为挪威人口最多的城市,首都奥斯陆的官员也在努力说服市民选用汽车以外的其他出行方式。6月23日,市政委员会投票决定在2019年之前禁止汽车进入市中心,并通过方案,到2030年将温室气体排放量在1990年基础上降低95%。
“方案的关键环节是从基础设施投资和空间使用两方面优先发展步行、自行车和公共交通等出行方式,减少汽车的使用,”奥斯陆分管环境的副市长告诉Climate Home。
奥斯陆新近出台的自行车基础设施规划重点推广哥本哈根式的隔离自行车道。哥本哈根设计公司()的自行车城市主义专家称其为“我们见过的全世界由市政府出台的文件中最有趣也最令人振奋的一份”。
领先者
丹麦则更为积极进取。在我新近出版的电子书《退碳:丹麦如何引领清洁能源变革并赢得低碳未来》中,我描述了丹麦的发电和供暖行业如何在上世纪70年代中期首先从使用石油转向使用煤炭,之后如何进一步提高能效并使用生物质能、太阳能以及风能等清洁能源的过程。
根据丹麦议会2012年3月审议通过的一份能源协定,包括电力、供暖、工业、交通等在内的所有经济部门都必须在2050年之前全面停止使用化石燃料。2013年8月,丹麦政府又在通过的一份方案中增加了中期目标。该方案规定,将在 2030年之前禁止使用石油供暖并全面禁止煤炭使用;此外,该方案还声明,电力和供暖行业将在2035年之前实现100%使用可再生能源。
与挪威不同,丹麦本身并不具备充足廉价的水电资源。不过,丹麦正在努力利用其丰富的风电资源。根据2012年3月签订的能源协定,丹麦将协定,丹麦将在20在2020年之前将风电占比提高到50%。
实践中,这意味着丹麦正致力于推动从电力、到供暖、再到私家车的所有经济部门的电气化。国家控股的公用设施企业DONG Energy近日投资1030万美元安装丹麦最大的电力锅炉,利用廉价的剩余风电资源为丹麦第二大城市奥尔胡斯提供无碳的城区供暖。
而在集中供暖尚未覆盖的农村地区,电力热泵正在取代以石油为燃料的供暖炉。此外,剩余的风电每晚还为数千部电动车的电池组充电。
结果
丹麦长达几十年的清洁能源转型正结出丰硕的果实。该国调整后的能源总消费量与上世纪70年代初相比实际上并没有变化。2014年底,可再生能源发电占到丹麦国内电力供应的53%以上。该国二氧化碳排放量自1990年已经降低了27.4%。
丹麦致力于通过国内的行动降低自身的碳排放。而挪威则刚刚发布了在2030年之前依靠欧盟和国际碳抵消手段的减排目标。如何减少该国石油和天然气行业的碳足迹将是一个不断严峻的挑战。
这份2030年方案并没有迫使挪威利润丰厚的石油和天然气行业减少其在国内的碳排放量。对于挪威的邻国瑞典来说,历史遗留的化石燃料资产也已经成为一大问题。瑞典政府不久将决定是否同意将国有公共事业企业Vattenfall持有的德国褐煤资产出售给捷克企业EPH。
以上两个事例都凸显了实现巴黎协定气候目标的难度。毕竟,当美国或者印度消费从挪威进口来的石油的时候,这些碳排放并不会计入挪威本国的碳排放总量。同样,Vattenfall在德国卢萨蒂亚的褐煤发电厂的碳排放将计入德国的碳排放总账,而不是瑞典或是(如果瑞典政府同意出售的话)捷克共和国的。
北欧国家以及其他地区采用的电气化、生物燃料、能源效率解决方案必须能够成功降低全球各地的化石燃料需求。因为最终计算碳排放量的时候,全球排放总量才是唯一重要的数字。
值得一提的是,北欧国家是最早采取行动的先行者,他们将自己定位为这场变革中的气候行动领袖。
北欧国家是最早一批对碳定价的国家。芬兰、挪威、瑞典和丹麦等国早在上世纪90年代就开始征收碳税。地理位置和政策因素造就了北欧国家清洁能源先行者的地位:水电占挪威发电总量的95%,风电占丹麦2015年发电总量的42%。
尽管已经取得了上述成就,但北欧国家还不能止步不前。这个月,挪威议会投票决定到2030年实现碳中和。
“这是对挪威在批准《巴黎协定》时所做承诺的直接回应,也意味着我们必须大幅加强气候行动,”挪威绿党议会领袖拉斯姆斯·汉森告诉《卫报》。
交通革命
挪威的电力供应已经基本实现去碳化,但其他领域减排的难度更大。受到高税费和停车激励制度的影响,挪威在电动车使用方面走在了世界前列。2016年5月,电动车(包括充电式混合动力车及纯电动车)占到新车销售量的29%。此外,作为挪威人口最多的城市,首都奥斯陆的官员也在努力说服市民选用汽车以外的其他出行方式。6月23日,市政委员会投票决定在2019年之前禁止汽车进入市中心,并通过方案,到2030年将温室气体排放量在1990年基础上降低95%。
“方案的关键环节是从基础设施投资和空间使用两方面优先发展步行、自行车和公共交通等出行方式,减少汽车的使用,”奥斯陆分管环境的副市长告诉Climate Home。
奥斯陆新近出台的自行车基础设施规划重点推广哥本哈根式的隔离自行车道。哥本哈根设计公司()的自行车城市主义专家称其为“我们见过的全世界由市政府出台的文件中最有趣也最令人振奋的一份”。
领先者
丹麦则更为积极进取。在我新近出版的电子书《退碳:丹麦如何引领清洁能源变革并赢得低碳未来》中,我描述了丹麦的发电和供暖行业如何在上世纪70年代中期首先从使用石油转向使用煤炭,之后如何进一步提高能效并使用生物质能、太阳能以及风能等清洁能源的过程。
根据丹麦议会2012年3月审议通过的一份能源协定,包括电力、供暖、工业、交通等在内的所有经济部门都必须在2050年之前全面停止使用化石燃料。2013年8月,丹麦政府又在通过的一份方案中增加了中期目标。该方案规定,将在 2030年之前禁止使用石油供暖并全面禁止煤炭使用;此外,该方案还声明,电力和供暖行业将在2035年之前实现100%使用可再生能源。
与挪威不同,丹麦本身并不具备充足廉价的水电资源。不过,丹麦正在努力利用其丰富的风电资源。根据2012年3月签订的能源协定,丹麦将协定,丹麦将在20在2020年之前将风电占比提高到50%。
实践中,这意味着丹麦正致力于推动从电力、到供暖、再到私家车的所有经济部门的电气化。国家控股的公用设施企业DONG Energy近日投资1030万美元安装丹麦最大的电力锅炉,利用廉价的剩余风电资源为丹麦第二大城市奥尔胡斯提供无碳的城区供暖。
而在集中供暖尚未覆盖的农村地区,电力热泵正在取代以石油为燃料的供暖炉。此外,剩余的风电每晚还为数千部电动车的电池组充电。
结果
丹麦长达几十年的清洁能源转型正结出丰硕的果实。该国调整后的能源总消费量与上世纪70年代初相比实际上并没有变化。2014年底,可再生能源发电占到丹麦国内电力供应的53%以上。该国二氧化碳排放量自1990年已经降低了27.4%。
丹麦致力于通过国内的行动降低自身的碳排放。而挪威则刚刚发布了在2030年之前依靠欧盟和国际碳抵消手段的减排目标。如何减少该国石油和天然气行业的碳足迹将是一个不断严峻的挑战。
这份2030年方案并没有迫使挪威利润丰厚的石油和天然气行业减少其在国内的碳排放量。对于挪威的邻国瑞典来说,历史遗留的化石燃料资产也已经成为一大问题。瑞典政府不久将决定是否同意将国有公共事业企业Vattenfall持有的德国褐煤资产出售给捷克企业EPH。
以上两个事例都凸显了实现巴黎协定气候目标的难度。毕竟,当美国或者印度消费从挪威进口来的石油的时候,这些碳排放并不会计入挪威本国的碳排放总量。同样,Vattenfall在德国卢萨蒂亚的褐煤发电厂的碳排放将计入德国的碳排放总账,而不是瑞典或是(如果瑞典政府同意出售的话)捷克共和国的。
北欧国家以及其他地区采用的电气化、生物燃料、能源效率解决方案必须能够成功降低全球各地的化石燃料需求。因为最终计算碳排放量的时候,全球排放总量才是唯一重要的数字。
贾斯汀•杰兹,独立记者,主要关注能源问题,现居旧金山湾区。其作品在《卫报》、《福布斯》网站、耶鲁环境360、《琼斯夫人》网站、City Lab等媒体发表。
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